Sunday, 5 April 2015

विवेक ,विचार विज्ञान , विनय ,विश्वास, विकास  के ग्राहक कम और विषय , विलास , विस्मय , विभ्रम, ,विश्राम , विरति ,विघटन , विच्छेद ,विप्लव ,विद्रोह , विष्फोट सब को लगभग सब समय आकर्षित करता है - कुछ  कौतुहल वश , कुछ क्षणिक आवेश के वशीभूत , कुछ सहज आकर्षण ,कुछ अहम् वश ,कुछ लोभ वश  ,कुछ क्रोध वश , कुछ काम-आवेग वश ..
शांत भाव के ग्राहक कम ही मिलते है .मिलते भी हैं तो बस मजबूरी में . मजबूरी हटी  और चल दिये नाचने , कूदने , गाने , टूटने , तोड़ने , फूटने- फोड़ने .

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