Sunday, 25 June 2017

अपने अन्दर के विद्यार्थी तत्व को और प्रखर करों।
 कुछ और सपने खाओ -पीओ।
थोड़ी नींद और उड़ाओ , भगाओ।
पसीने  को और बहने दो।
कंठ को दो चार बार सूखने दो।
 पेट को कभी कभी जलने दो।
 पुस्तकों के साथ अभिसार करो।
सफलता का जूनून  चढ़ा लो 
यश स्खलित , लक्ष्य स्खलित होने से बचो।

देखो , सफलता सुंदरी ,परी सी -
एक सुबह खुद चली आएगी
तुम्हारे आगोश में
और तब करेंगे खूब चकल्लस
मजे करेंगे , धूम मचायेंगे
सेज सजायेंगे ,सपने नचायेंगे।
सफलता का जश्न मनाएंगे।

बस तनिका सा ठहर एक बार लगो तो सही


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