Friday, 30 June 2017

कुकर्म ,कुतर्क आदि करने की योग्यता , बातों को गोल गोल घुमाने की क्षमता और खुद निष्क्रीय रह दूसरे का श्रम -फल भोगने का षड़यँत्र करने वाला , आत्मश्लाघा में लिप्त, दुराग्रही जब ब्यवस्था के केन्द्र में स्थापित हो जब ढोल-गँवार---- की घोषणा बेशर्मी से करे और पूजीये .... ग्यान -शील हीना का पाठ पढ़े तो जो वाद जन्म लेता है वही ".......... वाद " है ।

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