Sunday, 25 June 2017

हश्र सब का बस  यही होता है 
उगो ,उपजो ,ऊफनो , उधियाओ। 

बीज से बीज तक की यात्रा करो 
सब कुछ करो , यहीं छोड़ भी दो। 

और फिर एक दिन रीते बह जाओ 
समय की रेत का राजा है कौन ?

अमर हो जाने की जुगत में है सब 
दाँव लगेगा देखते है, पर देखो कब ?

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