किसान अपने परिवेश से ही प्रेरणा लेगा। कृषि संबन्धी चर्चा करेगा , लेन देन - संग्रह-सलाह , दान -विज्ञानं , त्यौहार , पूजा ,पर्व ,पात्र , पहनावा, सोच- विचार - रूचि , कला -संस्कृति , सब उसकी वृत्ति एवं परिवेश के अनुरूप हो जाता है।
यही बात ब्यापारी के साथ होती है , वृत्ति और परिवेश- गति-संगति , अभाव -प्रभाव , मिजाज और एतराज को निर्धारित -प्रभावित करते है।
अमूमन हर शब्द, क्रिया , प्रतिक्रिया ,परिवर्तन , परावर्तन , आवृत्ति , पुनरावृति , पर बरसों के अभ्यास -विरति , निवृत्ति -प्रवृत्ति , शिक्षण -प्रशिक्षण , अवलोकन -अध्ययन , स्वास्थ्य -अवस्था का स्पष्ट प्रभाव होता है।
मैं भी इससे अछूता नहीं हूँ। सुगम नहीं रह पाता हूँ।
यही बात ब्यापारी के साथ होती है , वृत्ति और परिवेश- गति-संगति , अभाव -प्रभाव , मिजाज और एतराज को निर्धारित -प्रभावित करते है।
अमूमन हर शब्द, क्रिया , प्रतिक्रिया ,परिवर्तन , परावर्तन , आवृत्ति , पुनरावृति , पर बरसों के अभ्यास -विरति , निवृत्ति -प्रवृत्ति , शिक्षण -प्रशिक्षण , अवलोकन -अध्ययन , स्वास्थ्य -अवस्था का स्पष्ट प्रभाव होता है।
मैं भी इससे अछूता नहीं हूँ। सुगम नहीं रह पाता हूँ।
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