Tuesday, 27 June 2017

हाँ ,प्रकाश ही तो है अंधकार का हत्यारा।
तो सब ओर सब कुछ था अँधेरा पसारा।
 न होती भोर तो ,कुछ अब भी न होता
अँधेरा मजे से सब कुछ छिपाये सोता।
अँधेरा तो सर छिपाये फिरा मारा मारा
सब आया सामने जब हुआ उजियारा। 

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