जब उन्हें कोई केंद्र के केंद्र में प्रतिष्ठित होने में मदद करने से इंकार कर देता है , तब गुस्सा आ ही जाता है।
जब कोई उनके केंद्रीय दावे को स्वीकारता प्रतीत होता है तो उन्हें प्रसन्नता होती है , वे उसके लिए बिछते जाते है। जैसे ही कोइ इस प्रसंग में उनकी अनदेखी करता है या उनको उनके केंद्रीय विकल्प की यद् भी दिलाता है तो उन्हें गुस्सा आता है , उनकी आंतरिक महत्वाकांक्षा का पौधा कुम्हला सा जाता है।
जब कोई उनके केंद्रीय दावे को स्वीकारता प्रतीत होता है तो उन्हें प्रसन्नता होती है , वे उसके लिए बिछते जाते है। जैसे ही कोइ इस प्रसंग में उनकी अनदेखी करता है या उनको उनके केंद्रीय विकल्प की यद् भी दिलाता है तो उन्हें गुस्सा आता है , उनकी आंतरिक महत्वाकांक्षा का पौधा कुम्हला सा जाता है।
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