बात जहाँ पसंद और नापसन्द की हो जाये तो सामने वाले की पसन्द के पैमाने पर खरे उतरने कर लिये कब कितना और क्यों झुका ही जाये ,और यदि झुकने का सिलसिला शुरू हो ही गया तो वह कहाँ रुकेगा ,कोई नहीं जानता - किसी के सामने बेवजह आत्मसमर्पण कर देना मुझे तो पसन्द नहीं
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