मेरी कहानी खत्म नहीं होती -चलती रहती है ,चलती रहेगी , मैं या कि तुम या वे सब - कोई भी कितना भी चाहेगा तब भी नहीं - कोशिश कर के थक भी जाओगे तब भी नहीं .
हाँ - कहानी में कुछ तीता -कसैला -बेस्वाद हो सकता है - कुछ रंगों का बेमेल संयोजन भी हो तो आश्चर्य नहीं .मैनें अपने जीवन की कहानी के प्लाट की तरह पहले से निर्धारित न किया था न हो सका .
सुन्दर ही होंगे सारे रंग ,मैं दावे से नहीं कह सकता। रंगो का ,भावों का अनुपात भी सम्पूर्ण ही होगा मैं नहीं बता सकता। दावा भी नहीं कर सकता। सब कुछ , सभी जगह नैतिक ही होगा, यह भी मैं दावे से नहीं कह सकता। .
बहुत सी चीजें ऐसी होगी जो नहीं होनी चाहिये , पर हो गयी , जाने में हुई या अनजाने में - सही सही पता भी नहीं , पर कुछ थी , कुछ है , शायद आगे भी कुछ ऐसा रहे।
पर एक बात स्पष्ट थी , है और रहेगी की दुष्ट या दूषित मानसिकता न तब थी , न अब है , न आगे कभी रहेगा . पापी जैसी किसी भावना से कभी ग्रसित रहा ही नहीं .
पाप हुआ होगा - नहीं हुआ होगा, इसका दावा मैं नहीं करता। पाप आज भी हो ही जाता होगा - आगे भी होगा ही - पर पापकी विवेचना , प्लानिंग , विचार , उसी में डूबना-तैरना यह नहीं था , न है , न होगा।
एक उम्र थी गुणों को सीखने धारण करने की , दूसरी आई अवगुणों से बचने की ,फिर आई गुणों को सीखाने की -अब आई अवगुणों से बचाने की .
इस अवस्था में यदि मैं संगोंपंग बिना किसी डर-भय के ,शर्म के सच-सच सब कुछ सभी को बता जाता हूँ या बताऊँ तो हो सकता है मेरे मूल्यांकन में आपको अतिरिक्त भ्र्म हो जाए कि जिन्हें मैंने या हमने इस एवज में इतना ऊँचा मुकाम दे दिया था वे जब अपनी ही कहानी -जीवन यात्रा के विवरण में इसे काट रहे हैं तो हमारा मुल्यांकन गलत हो रहा है - इस खतरे के बाद भी यदि सच यदि एक ब्यक्ति कर साथ का भी हो तो उसे सामने आ जाने दीजिये .
यदि इसमें ऐसा कुछ आपको कभी मिल भी जाएकि आप मुझे कुछ और बेहतर मुल्यांकन या सहृदयता या प्रेम के लायक समझने लगे तो मेरी आप से प्रार्थना होगी की मेरा मुल्यांकन निष्ठुर -निर्दयी -निर्ल्लज्ज भाव से करे -बिना कोई दया -माया दिखाये .मुझे कोए फर्क नहीं पड़ेगा .मैं अभ्यस्त हूँ -उछ्त्मपेक्षा का और निम्नतम उपेक्षा का . मजाक आयर ब्यंग अब मुझे पीड़ा नहीं देते . अस्वीकृति मेरी नियति है - मैंने इसे बहुत पहले से -शायद बचपन से ही स्वीकार लिया है यद्यपि मैं रोज एक कदम चलूँगा ,अपनी ताकत भर सही चलूँगा ,मैं एक इंट रोज नई सजा कर ,सम्भाल कर सोच समझ कर आने वाले कल के लिये रखूँगा पर केवल अपने संतोष के लिये - आपको -आप सब कोआरम पहुँचाने के लिये. बस इतना ही कर चले जाने के लिये . यदि मैं चला ही जाऊं तो कम से कम एक बात के लिये इत्मिनान रहना - मैं जिया - करते हुए जिया, बनाते हुए जिया ,बचाते हुए जीया - बिगाड़ा नहीं -कभी भी किसी का नहीं .
हाँ लोभ से मेरी कभी पटरी नहीं बैठी . मैं उससे लड़ते ही रहा हूँ .
हाँ - कहानी में कुछ तीता -कसैला -बेस्वाद हो सकता है - कुछ रंगों का बेमेल संयोजन भी हो तो आश्चर्य नहीं .मैनें अपने जीवन की कहानी के प्लाट की तरह पहले से निर्धारित न किया था न हो सका .
सुन्दर ही होंगे सारे रंग ,मैं दावे से नहीं कह सकता। रंगो का ,भावों का अनुपात भी सम्पूर्ण ही होगा मैं नहीं बता सकता। दावा भी नहीं कर सकता। सब कुछ , सभी जगह नैतिक ही होगा, यह भी मैं दावे से नहीं कह सकता। .
बहुत सी चीजें ऐसी होगी जो नहीं होनी चाहिये , पर हो गयी , जाने में हुई या अनजाने में - सही सही पता भी नहीं , पर कुछ थी , कुछ है , शायद आगे भी कुछ ऐसा रहे।
पर एक बात स्पष्ट थी , है और रहेगी की दुष्ट या दूषित मानसिकता न तब थी , न अब है , न आगे कभी रहेगा . पापी जैसी किसी भावना से कभी ग्रसित रहा ही नहीं .
पाप हुआ होगा - नहीं हुआ होगा, इसका दावा मैं नहीं करता। पाप आज भी हो ही जाता होगा - आगे भी होगा ही - पर पापकी विवेचना , प्लानिंग , विचार , उसी में डूबना-तैरना यह नहीं था , न है , न होगा।
एक उम्र थी गुणों को सीखने धारण करने की , दूसरी आई अवगुणों से बचने की ,फिर आई गुणों को सीखाने की -अब आई अवगुणों से बचाने की .
इस अवस्था में यदि मैं संगोंपंग बिना किसी डर-भय के ,शर्म के सच-सच सब कुछ सभी को बता जाता हूँ या बताऊँ तो हो सकता है मेरे मूल्यांकन में आपको अतिरिक्त भ्र्म हो जाए कि जिन्हें मैंने या हमने इस एवज में इतना ऊँचा मुकाम दे दिया था वे जब अपनी ही कहानी -जीवन यात्रा के विवरण में इसे काट रहे हैं तो हमारा मुल्यांकन गलत हो रहा है - इस खतरे के बाद भी यदि सच यदि एक ब्यक्ति कर साथ का भी हो तो उसे सामने आ जाने दीजिये .
यदि इसमें ऐसा कुछ आपको कभी मिल भी जाएकि आप मुझे कुछ और बेहतर मुल्यांकन या सहृदयता या प्रेम के लायक समझने लगे तो मेरी आप से प्रार्थना होगी की मेरा मुल्यांकन निष्ठुर -निर्दयी -निर्ल्लज्ज भाव से करे -बिना कोई दया -माया दिखाये .मुझे कोए फर्क नहीं पड़ेगा .मैं अभ्यस्त हूँ -उछ्त्मपेक्षा का और निम्नतम उपेक्षा का . मजाक आयर ब्यंग अब मुझे पीड़ा नहीं देते . अस्वीकृति मेरी नियति है - मैंने इसे बहुत पहले से -शायद बचपन से ही स्वीकार लिया है यद्यपि मैं रोज एक कदम चलूँगा ,अपनी ताकत भर सही चलूँगा ,मैं एक इंट रोज नई सजा कर ,सम्भाल कर सोच समझ कर आने वाले कल के लिये रखूँगा पर केवल अपने संतोष के लिये - आपको -आप सब कोआरम पहुँचाने के लिये. बस इतना ही कर चले जाने के लिये . यदि मैं चला ही जाऊं तो कम से कम एक बात के लिये इत्मिनान रहना - मैं जिया - करते हुए जिया, बनाते हुए जिया ,बचाते हुए जीया - बिगाड़ा नहीं -कभी भी किसी का नहीं .
हाँ लोभ से मेरी कभी पटरी नहीं बैठी . मैं उससे लड़ते ही रहा हूँ .
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