ब्यक्ति पूजा करना सहज है .ब्यक्ति का अनुसरण करना भी सहज है . ब्यक्ति के प्रति निष्ठां का पालन करना भी सहज है .
पर भाव -धर्म -विचार -समाज -समूह संस्था -सर्वजन को ही मात्र पूज्य मानते हुए उसी का अनुसरण करना ,निष्ठां पूर्वक पालन करना असहज ही नहीं -लगभग असंभव है - पर बिरले ही सही ,कोई कोई चमत्कारिक ढंग से कर ले जाते हैं .
पर भाव -धर्म -विचार -समाज -समूह संस्था -सर्वजन को ही मात्र पूज्य मानते हुए उसी का अनुसरण करना ,निष्ठां पूर्वक पालन करना असहज ही नहीं -लगभग असंभव है - पर बिरले ही सही ,कोई कोई चमत्कारिक ढंग से कर ले जाते हैं .
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