सन ६६ की बात है .नई स्कूल में मेरा दाखिला क्लास सिक्स में करवाया गया था .कलकत्ता की हिंदी मीडियम अच्छी स्कूल थी .हाल में ही ड्रील करवाई जाती थी .
हाफइयरली एग्जाम हुए .ड्रील का भी एग्जाम हुआ
सभी बच्चे कतार में बैठे थे .एक एक कर सामने बैठे एक्जामिनर के सामने लिफ्ट-राईट करते जाना था और सैल्यूट करना था . मैं भी गया ,सैल्यूट किया.
रिजल्ट आया . अकेला मैं ही ड्रील में फेल वह भी जीरो .
बड़ी निराशा .
पता ही नहीं चला ऐसा क्यों हुआ .
बादमें पता चला की मैं सरे काम बाएँ हाथ से करता थे ,और सैल्यूट भी मैंने बाएँ हाथ से कर दिया था.
उसी एक्जाम में मुझे ड्राइंग में भी शून्य ..
ज्योग्रेफी में विश्व के नक्शे पर कुछ भरना था ,रिजल्ट में ज्योग्रेफी में भी जीरो . रो रो कर बूरा हाल था .
खैर फईनल में मैं क्लास में थर्ड रहा .फर्स्ट शायद नाहटा ,सेकेण्ड शिव कुमार थर्ड मैं .
बाद के सेवेंथ क्लास में मैं हिंदी के शिक्षक उपद्याय जी से अनुस्वार के प्रयोगों के लिए अच्छी डांट सुनता था. नहीं लिखते समय मैं अक्सर अनुस्वार छोड़ देता था .एक आध बार मार भी पड़ी .
हाफइयरली एग्जाम हुए .ड्रील का भी एग्जाम हुआ
सभी बच्चे कतार में बैठे थे .एक एक कर सामने बैठे एक्जामिनर के सामने लिफ्ट-राईट करते जाना था और सैल्यूट करना था . मैं भी गया ,सैल्यूट किया.
रिजल्ट आया . अकेला मैं ही ड्रील में फेल वह भी जीरो .
बड़ी निराशा .
पता ही नहीं चला ऐसा क्यों हुआ .
बादमें पता चला की मैं सरे काम बाएँ हाथ से करता थे ,और सैल्यूट भी मैंने बाएँ हाथ से कर दिया था.
उसी एक्जाम में मुझे ड्राइंग में भी शून्य ..
ज्योग्रेफी में विश्व के नक्शे पर कुछ भरना था ,रिजल्ट में ज्योग्रेफी में भी जीरो . रो रो कर बूरा हाल था .
खैर फईनल में मैं क्लास में थर्ड रहा .फर्स्ट शायद नाहटा ,सेकेण्ड शिव कुमार थर्ड मैं .
बाद के सेवेंथ क्लास में मैं हिंदी के शिक्षक उपद्याय जी से अनुस्वार के प्रयोगों के लिए अच्छी डांट सुनता था. नहीं लिखते समय मैं अक्सर अनुस्वार छोड़ देता था .एक आध बार मार भी पड़ी .
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