reminded me of my old mischievous nature... kitna sukoon milta tha...tang krne mein... पचास साल पहले हम भी बच्चे थे -पर सच्चे थे ,कच्चे थे पर अच्छे थे -पचास साल पहले हम भी बच्चे थे -------- अब तो " समझदार " हो गये -- अब हम खुद पुरे के पुरे "ब्यापार "हो गए ----
सच्चे बच्चे ,अच्छे बच्चे ,कच्चे बच्चे अब केवल नफा नुकसान देखने वाले पके हुए फल हो गये --- जाने कब पेड़ से टपक जाये पर क्या मजाल है "समझदारी " या "ब्यापार " कोइ भी छोड़ देने को तैयार हो -
सच्चे बच्चे ,अच्छे बच्चे ,कच्चे बच्चे अब केवल नफा नुकसान देखने वाले पके हुए फल हो गये --- जाने कब पेड़ से टपक जाये पर क्या मजाल है "समझदारी " या "ब्यापार " कोइ भी छोड़ देने को तैयार हो -
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