जाने का वक्त करीब आ चला ,
कुछ कुछ मन भी अनमना हुआ
बोझ बढ़ा तो है मगर
बोझ ढोया भी बहुत है
बोझ उतारता ही रहा हूँ
बोझ बढ़ाया नहीं है
बोझ बना भी नहीं हूँ
बोझ उठाया बहुत है
फिर भी अभी बाकी है
बहुत सा बोझ ढोना
बहुत सा बोझ उतरना
थका तो नहीं हूँ अभी
थकता भी हूँ तो
थकने नहीं देता
उबा भी नहीं हूँ अभी
उबता भी हूँ तो
उबने नहीं देता
हाँ वक्त हो ही चला है
बोझ उठाये खूब चला हूँ
मन भी कुछ अनमना सा हो चला
जाने के पहले कुछ बना डालूं
निशान वक्त की छाती पर
इतिहास को ढक सकूं
वह चादर अभी बुनना है
जाने के वक्त को टालना ही पड़ेगा
अनमने मन को समझाना ही पड़ेगा
काम बीच में छोड़ कर कोई उठा है क्या ?
धत्त पगले ! अभी वक्त ही क्या हुआ है ?
हो भी गया तो क्या ?
वक्त को इंतजार करने दो !
वक्त को इंतजार करने दो !
कह दो वक्त से
अभी इंतजार करे .!!
कुछ कुछ मन भी अनमना हुआ
बोझ बढ़ा तो है मगर
बोझ ढोया भी बहुत है
बोझ उतारता ही रहा हूँ
बोझ बढ़ाया नहीं है
बोझ बना भी नहीं हूँ
बोझ उठाया बहुत है
फिर भी अभी बाकी है
बहुत सा बोझ ढोना
बहुत सा बोझ उतरना
थका तो नहीं हूँ अभी
थकता भी हूँ तो
थकने नहीं देता
उबा भी नहीं हूँ अभी
उबता भी हूँ तो
उबने नहीं देता
हाँ वक्त हो ही चला है
बोझ उठाये खूब चला हूँ
मन भी कुछ अनमना सा हो चला
जाने के पहले कुछ बना डालूं
निशान वक्त की छाती पर
इतिहास को ढक सकूं
वह चादर अभी बुनना है
जाने के वक्त को टालना ही पड़ेगा
अनमने मन को समझाना ही पड़ेगा
काम बीच में छोड़ कर कोई उठा है क्या ?
धत्त पगले ! अभी वक्त ही क्या हुआ है ?
हो भी गया तो क्या ?
वक्त को इंतजार करने दो !
वक्त को इंतजार करने दो !
कह दो वक्त से
अभी इंतजार करे .!!
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