Sunday, 21 September 2014

तख़्त जमीं पर हुकुमत करते है ,
चन्द लम्हों के लिये 
खंजर लिए घूमते फिरते हैं 
किसके लिए ?
फिर वही खंजर पीछा करता है 
उसी तख्त के लिए 
घूमता फिरता है 
उन्हीं की जान के लिये .

एक वे हैं , इन्हें देखो 

दिलों जान पर हुकमत करते हैं 
इनके पीछे जान लिए घूमता हैं 
रु बरु हो तो ,आँख नीची 
सब कुछ कुर्बान किये चलते है . 

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