तख़्त जमीं पर हुकुमत करते है ,
चन्द लम्हों के लिये
खंजर लिए घूमते फिरते हैं
किसके लिए ?
फिर वही खंजर पीछा करता है
उसी तख्त के लिए
घूमता फिरता है
उन्हीं की जान के लिये .
एक वे हैं , इन्हें देखो
दिलों जान पर हुकमत करते हैं
इनके पीछे जान लिए घूमता हैं
रु बरु हो तो ,आँख नीची
सब कुछ कुर्बान किये चलते है .
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