राज्य स्तर की राजनीति तथा रष्ट्रीय स्तर की राजनीति दोनों दो बात है .भारतीय सन्दर्भ में तो और भी विकट भिन्नता है . स्थानीय मूल्य,स्थानीय आकांक्षा तथा राष्ट्रिय प्रश्न तथा सारे राष्ट्र की विविध आयामी अपेक्षाएं परस्पर प्रतियोगी ही नहीं होती परस्पर विरोधी भी होती है . पर कम से कम सभी एक सार्वभौम राज्य के अंतर्गत समाहित हो कर साथ चलने को कृत संकल्प होते हैं अतएव उन्हें संभाला जा सकता है .
पर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति सार्वभौम के बीच की राजनीति है . प्रत्येक सार्वभौम को अनन्यतम सार्वभौम अधिकार है .
आंतरिक राजनीति के प्रसंग अलग होते हैं ,रणनीति अलग होती है .
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति बहुत पेचीदा , नाटकीय ,क्षणभंगुर ,विवादित ,भेदभरी ,गंभीर ,व्यापक होती है .उसमे एकाएक कोई घुमाव -मोड़ -टर्न बिना बहुत सावधानी के नहीं किया जा सकता. कोई नई शुरुआत में तो और सावधान होना होगा .
नौसिखियों के बस की बात नहीं है .
पर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति सार्वभौम के बीच की राजनीति है . प्रत्येक सार्वभौम को अनन्यतम सार्वभौम अधिकार है .
आंतरिक राजनीति के प्रसंग अलग होते हैं ,रणनीति अलग होती है .
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति बहुत पेचीदा , नाटकीय ,क्षणभंगुर ,विवादित ,भेदभरी ,गंभीर ,व्यापक होती है .उसमे एकाएक कोई घुमाव -मोड़ -टर्न बिना बहुत सावधानी के नहीं किया जा सकता. कोई नई शुरुआत में तो और सावधान होना होगा .
नौसिखियों के बस की बात नहीं है .
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