विकराल कौन ? शायद आज तक पता नहीं चला . भूख की देह भी देखी है और देह की भूख --- भूख ही विकराल है -चाहे जिसकी भी हो - भूख समस्त पापों का ताला खोल देती है - सारे भय हर लेती है -सारी लाज शर्म से अकेले ही लडती है -असफलता दिखती रहे वहाँ भी जो लड़े वह है भूख - विकराल भूख
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