Tuesday, 16 September 2014

बस हर शख्स को उसके होने का एहसास हो जाने दो
बस हर सांस को पूरा जीवन जीने को मचल जाने दो
हर इंट को ताजमहल का मालिकाना एहसास होने दो
हर दीवार को पूरी दिल्ली बनने के ख्वाब में खोने दो.

हर बीज को जगने दो ,धरती को नभ तक ले जाने दो
हर पक्षी को उड़ जाने दो , नभ को धरा तक ले आने दो
हर बचपन देख सके सपना ,इतना तो हर्षित हो जाने दो
हर यौवन होसके अपना , इतना तो पुलकित हो जाने दो
.
पूरा सपना ,सबका सपना ,इतना तो बस हो जाने दो
सबका जीवन ,सबका अपना ,इतना तो बस हो जाने दो .

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