Monday, 29 September 2014

साथ हो तो अच्छा है न
आजादी उतनी ही लो जो पचे
आजाद उतने ही हो जो जंचे .
किनारे न हो तो नदी नहीं होती 
बीच समन्दर से भी किनारे ही तलाशते हैं लोग
धरती के बिना आकाश को कौन पूछेगा
आसमान और धरती को इतना अलग न करो
दिन और रात भी अलग, फिर भी मिलते रहते हैं
क्षितिज और शाम , दोनों का भ्रम रहने दो , रहने दो न .
L

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