साथ हो तो अच्छा है न
आजादी उतनी ही लो जो पचे
आजाद उतने ही हो जो जंचे .
आजादी उतनी ही लो जो पचे
आजाद उतने ही हो जो जंचे .
किनारे न हो तो नदी नहीं होती
बीच समन्दर से भी किनारे ही तलाशते हैं लोग
धरती के बिना आकाश को कौन पूछेगा
बीच समन्दर से भी किनारे ही तलाशते हैं लोग
धरती के बिना आकाश को कौन पूछेगा
आसमान और धरती को इतना अलग न करो
दिन और रात भी अलग, फिर भी मिलते रहते हैं
क्षितिज और शाम , दोनों का भ्रम रहने दो , रहने दो न .
दिन और रात भी अलग, फिर भी मिलते रहते हैं
क्षितिज और शाम , दोनों का भ्रम रहने दो , रहने दो न .
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