बहुत सी कमियाँ हैं , मानता हूँ , यह व्यवस्था भी पूर्ण या सर्वोत्तम नहीं है ,
विश्व की कोई भी व्यवस्था सम्पूर्ण या पूर्ण नहीं हो सकती , न है .
पर हमारे लोकतंत्र में कुछ तो आश्चर्यजनक है , चमत्कारी है , पूर्ण भले ही न हो ,सुन्दर ,सार्थक है
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पर हमारे संविधान में भी कुछ तो आश्चर्यजनक है , चमत्कारी है , पूर्ण भले ही न हो ,सुन्दर ,सार्थक है
विश्व की कोई भी व्यवस्था सम्पूर्ण या पूर्ण नहीं हो सकती , न है .
पर हमारे लोकतंत्र में कुछ तो आश्चर्यजनक है , चमत्कारी है , पूर्ण भले ही न हो ,सुन्दर ,सार्थक है
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पर हमारे संविधान में भी कुछ तो आश्चर्यजनक है , चमत्कारी है , पूर्ण भले ही न हो ,सुन्दर ,सार्थक है
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और हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत हमारी न्याय व्यवस्था , में कुछ तो आश्चर्यजनक है , चमत्कारी है , पूर्ण भले ही न हो ,सुन्दर ,सार्थक है
और हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत हमारी न्याय व्यवस्था , में कुछ तो आश्चर्यजनक है , चमत्कारी है , पूर्ण भले ही न हो ,सुन्दर ,सार्थक है
चारों और निहीत स्वार्थ वाले केवल आलोचना ही करते हैं . कभी तो ईमानदारी से प्रशंसा भी कर दें
क्या ये लोग नहीं खरीद सकते थे जिन्हें आज भोगना पड़ रहा है .
जिन लोगों ने आज यह कर दिखाया है , पहले भी अनंत बार कर दिखाया है , क्या वे हमारी इसी व्यवस्था से ही नहीं आये हैं और इसी समाज में रहते हुए इन लोगों ने यह सब नहीं किया है . कहाँ सब कुछ उड़ गया .
कम से कम हमारी व्यवस्था में जो कुछ अच्छा है ,उसे भी तो स्वीकारो ,
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