सत्य की ही विजय होती है ,ऐसा भ्रम फैलाया गया ताकि सत्य पर आश्रित पवित्र लोग आश्वस्त हो के बैठ जाये और जब सत्य और असत्य में वास्तविक निर्णय की घड़ी आये तो समुचित रणनीति के अभाव में सत्य असत्य के सामने उभर ही न पावे और तब असत्य खुद को ही सत्य घोषित करवा लेने में सफल हो जावे .
संघर्ष की स्थिति में सत्य अपनी रक्षा नहीं कर पाता ,उसकी रक्षा के लिए यदि सारे भेद -उपाय नहीं किये गए तो सत्य की पवित्रता ही सत्य को पराजित करने के लिए पर्याप्त है .
संघर्ष की स्थिति में सत्य अपनी रक्षा नहीं कर पाता ,उसकी रक्षा के लिए यदि सारे भेद -उपाय नहीं किये गए तो सत्य की पवित्रता ही सत्य को पराजित करने के लिए पर्याप्त है .
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