Thursday, 25 September 2014


जो जीतने के बाद हारने के पहले मृत्यु को प्राप्त हो वह , महापुरुष 
जो जीतने के बाद मृत्यु के पहले हार जाये उसका श्रेय औ वह गये 
हार पवित्र नहीं होती ,जीत न होती अपवित्र 
हारना ही पाप है ,जितना ही पूण्य

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