Monday, 1 September 2014

पुस्तकों ने आपको कितना ललचाया है ?
कितना उत्तेजित किया है ?
क्या कभी किसी पुस्तक का खयाल आया है
क्या इतना की नींद उड़ गयी हो
क्या पुस्तकों ने आपको वहाँ पहुंचाया है ?
क्या आपने पुस्तक पढ़ी ही है ?
लिखी कभी नहीं !
काश ! कोई पुस्तक आपको चैन दे पाती ,
आप कुछ तो पढ़ पाते
कुछ लिख जाते .
पुस्तक के साथ रहे तो होते !

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