Wednesday, 4 March 2015

लडाई में जाओगे तो घिरोगे भी , गिरोगे भी ,घाव भी हो सकते हैं ,मर भी सकते हो ,
तुम्हे मारने की कोशिश वहाँ हो रही है तभी तो वह लडाई है पर जीतोगे भी उसी लडाई के मैदान में से .
जो लड़ा  नहीं , लडाई के मैदान में गया ही नहीं , डर गया वह कभी विजयी तो होगा ही नहीं  .यदि विजय चाहिये तो वार -हार -मार -मृत्यु  सब खतरे उठाने ही होंगे .

उस पार जाने के लिये इस किनारे को तो छोड़ना ही होगा , मझधार का खतरा तो है ,लोग पहले डूबे भी हैं ---- पर उस पर भी जाते रहे हैं .
लोग हारे तो हैं , पर विजयी भी होते ही रहे है .
हाँ ,यह किनारा जिसने नहीं छोड़ा उनमे से कोई उस पार नहीं गया ,जो नहीं लड़ा लडाई वह नहीं ही जीता है .

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