Friday, 20 March 2015



क्या तुम यही बनोगे .
च्वायस तुम्हारी है

मैंने तो तुम्हे यशस्वी उपयोगी बेशकीमती चिरस्थायी इमारती लकड़ी देने वाले दीर्घायु वृक्ष बनाया है , और तुम हो की के ड्राईंग रूम के इनडोर पौधा या लता होने का जीद धारण कर रहे हो ,
बस इत्ती सी धुप से घबरा कर किसी केड्राईंग रूम में दुबक जाना , कहीं की सोभा की वस्तु भर बन कर रह जाना , अपनी देखभाल के लिये पूरे जीवन किसी दुसरे पर आश्रित रह जाना ,और लता बन श्र खोजना , क्या तुम्हें शोभा देता है.
बस थोड़ी सी लडाई से घबरा गये .
क्या इनडोर प्लांट कों नहीं लड़ना पड़ता .
क्या इनडोर प्लांट को निरंतर नहीं उगना पड़ता
इनडोर प्लांट को भी तो अंतत अपनी जड़ों से ही काम लेना है ,
इनडोर प्लांट को भी अपने पतों से ही काम लेना है .
इनडोर प्लांट को भी अपनी शोभा -उपयोगिता बना कर रखनी ही होती है
इनडोर प्लांट कों अन्य शोभा वाले प्लांट से निरंतर प्रतियोगिता ही बनी रहती है,
उपयोगिता अपनी होती है .कड़ी धुप ,आंधी , तूफ़ान , ठण्ड ,आदि के बीच से अपना जीवन बनाने का अंतत अपना मजा है .
हाँ , पर वह अनजान रास्ता है , कठिन्हाई - पर जाता सम्पूर्ण यश को - थोडा असुरक्षित सा है पर जो लोग बढ़ जाते हैं वे अमर हो जाते हैं .
दूसरा प्रचलित रास्ता है सभी जा ही रहे है ,आईसक्रीम खाते,पण खाते ,सी बीच पर उछलते कूदते नाचते गेट आज या कल बस मिट जाने के लिये ,आये है मजे से जी कर मिट जानही -- कोई जरूरी है सब कुछ कर कर ही जाये - मौज मस्ती वाले भी तो होने चाहिये .
क्या तुम यही बनोगे .
च्वायस तुम्हारी है

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