Thursday, 19 March 2015

अभी अभी मेरे इनबॉक्स में झाँका तो एक  नौजवान साथी को मेरे अनुभव यात्रा के कटू  वृक्ष के फल  को देखते -लपकते ,उछलते , याद करते , कराते पाया.
 ऐ  मेरे मीत , मुझे उन असहज पलों की याद दिलाने के लिये मैं तो आपको धन्यवाद तक नहीं कह सकता .
हाँ ,मेरी पीड़ा वृक्ष के फल मुझे कैसे भी लगे हो , मैं आशा ही नही विश्वास करता हूँ कि आप सभी के लिये वे सदैव यशकारी  , गुणकारी ही होंगे और स्वाद भी उतना तीता अब नहीं रहेगा ,थोडा  कसैला  ,थोडा बेस्वाद  तो अब भी हो सकता है -पर हानिकारक  नहीं होगा .
मैं आप सभी के यशस्वी जीवन की  शुभकामना करता   रहूँगा .

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