वे अपने हैं पर उन्हें हमारी याद भी नहीं आती
हमारी भींगी आँखें करती फरियाद ,नहीं जाती
हम उनके दरवाजे से नाउम्मीद ,पर हटते नहीं
वे हमें काटते रहते ,पर हम हैं की बस कटते नहीं .
हमारे उगने पर भी उन्हें लगता है ख़ुशी नहीं हुई
सारा गाँव आज भी हमारे होने भर से ही बावला .
हमारी भींगी आँखें करती फरियाद ,नहीं जाती
हम उनके दरवाजे से नाउम्मीद ,पर हटते नहीं
वे हमें काटते रहते ,पर हम हैं की बस कटते नहीं .
हमारे उगने पर भी उन्हें लगता है ख़ुशी नहीं हुई
सारा गाँव आज भी हमारे होने भर से ही बावला .
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