Monday, 30 March 2015

कुछ लोगों के बीच बैठा हूँ . वे सभी अपनी अपनी गा रहे हैं . कुछ अपने पूर्वजों का नाम गा रहे है ,उनका यश गा रहे हैं ,जन-धन -तन को गिन -गिना रहें हैं - मेरे पास तो गिनने को कुछ भी ,नहीं ,सुनाने को भी नहीं ,मैं सोचता रहा- क्या गाऊँ -,क्या सुनाऊं .,क्या दिखाऊं .

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