सत्य के साथ अत्याचार हुआ , वे सब बड़ी उत्सुकता से आये देखने बेचारे सत्य की दुर्गति -
पर यह क्या -
सत्य की रक्षा के लिये वे ही टूट पड़े जो सत्य से घृणा करते थे , सत्य का मजाक उड़ाते थे ,सत्य को तोडा -मरोड़ा करते थे -
उन सबने एक स्वर में कहा और माना कि सत्य है तभी तो हम सब है -
और सत्य पूर्व की भांति निर्विकार भाव से आगे बढ़ता रहा -
न काहू से दोस्ती ,न काहू से बैर .
वह किसी के लिये नहीं ठहरा -
सदा की तरह
उसे तोउस अत्याचार का भी भान नहीं
सत्य तो सदा से ही तपता रहा है , परीक्षा देते रहा है - तभी तो वह सत्य है . वह चलता चला गया ,जितना दूर गया उसकी चमक उतनी तेज होती चली गई - वह जितना दूर गया उतना ही प्रखर होता गया .
पर यह क्या -
सत्य की रक्षा के लिये वे ही टूट पड़े जो सत्य से घृणा करते थे , सत्य का मजाक उड़ाते थे ,सत्य को तोडा -मरोड़ा करते थे -
उन सबने एक स्वर में कहा और माना कि सत्य है तभी तो हम सब है -
और सत्य पूर्व की भांति निर्विकार भाव से आगे बढ़ता रहा -
न काहू से दोस्ती ,न काहू से बैर .
वह किसी के लिये नहीं ठहरा -
सदा की तरह
उसे तोउस अत्याचार का भी भान नहीं
सत्य तो सदा से ही तपता रहा है , परीक्षा देते रहा है - तभी तो वह सत्य है . वह चलता चला गया ,जितना दूर गया उसकी चमक उतनी तेज होती चली गई - वह जितना दूर गया उतना ही प्रखर होता गया .
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