शालीन बने रहो . शब्द सदा सही रहे . आदत बिगड़े नहीं . बात आगे तक जाती है . न जाने किस बात को कब आगे बढ़ाना पड़े , बात के किस सिरे को कब कहाँ फिर से पकड़ना पड़े , आगे बढ़ना पड़े . शालीन बने रहोगे तो बात ,आदत साफ बनी रहेगी , कहीं से भी नई शुरुआत कभी भी की जा सकती है . बस शालीनता मत छोड़ना ,कभी भी नहीं .
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