Friday, 6 March 2015

किसी भी आरोपी के तर्क सुनियेगा तो सही न .
आप खारिज कर दिजीये .
आप उसे अपनी बात कहने से कैसे रोक सकते हैं ?
क्या समाज में अब सुनने तक का धैर्य नहीं रहा ?
समाज बिना सुने दण्ड कैसे दे सकता है ?

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