कड़ी धुप किसे नहीं लगती . तेज हवा के झोंके कब किसको जड़ तक से हिला देंगे कौन जानता है . आंच लगती भी है , बर्दास्त करना भी पड़ता है , आगे भी बढ़ना तो पड़ता ही है , रुकना नही , रुक सकते ही नहीं ----- बस समय के साथ सब कुछ बदल जायेगा ---- हर बार बसंत आता ही है --- कभी भी पतझड़ बसन्त को रोक नहीं पाया ------ यह तो बसंत के आने की पूर्व सूचना है , पूर्वाभास है ---- रात का अँधेरा ही भोर का ऐलान है .
No comments:
Post a Comment