मैं बढ़ जाऊँ इतना
कि पहाड़ बौना दिखे
आसमान छू सकूं
समुद्र के तल पर रहूँ
और दिखूं लहरों पर भी
बीज में रहूँ खूब
और बात करूं शिखर से
उगते तारों का मीत
दुपहरिया सूरज संग खेलूं
कि पहाड़ बौना दिखे
आसमान छू सकूं
समुद्र के तल पर रहूँ
और दिखूं लहरों पर भी
बीज में रहूँ खूब
और बात करूं शिखर से
उगते तारों का मीत
दुपहरिया सूरज संग खेलूं
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