मन बुद्धि तन ने किया संघर्ष
नित नया किया पाया उत्कर्ष
नित नया किया पाया उत्कर्ष
परीक्षा तो शुरू होती है अब
शरीर तो थकने चला है जब
शरीर तो थकने चला है जब
सर्वोपरी परीक्षा है धैर्य की
दूजी हुई सर्वदा पुरुषार्थ की
दूजी हुई सर्वदा पुरुषार्थ की
संयम की परख होती सदा
अंतिम होती है परमार्थ की
अंतिम होती है परमार्थ की
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