Tuesday, 3 March 2015

बिना गले कोई बीज नए वृक्ष को जन्म दे ही नहीं सकता..
यदि टहनी के मन में वृक्ष बनने की इच्छ है तो उसे निरावृत हो टूटना ही होगा .
सम्पूर्ण वृक्ष बनने की शर्त है टूट कर सीलन ,बदबूदार मिटटी में इत्मिनान से गड जाना ही है .अपनी सारी उर्जा लगा कर नई जड़े पैदा करनी ही होगी .खुद को मरने से बचाना ही होगा .एक सम्पूर्ण वृक्ष बनने की इच्छा का यह मूल्य तो चुकाना ही होगा .
नई कोपल फूटने के पहले , नये अंकुर फूटने के पहले , नये शिशु की किलकारी सुन पाने के पहले कहीं न कहीं , कोई न कोई घनीभूत विचार , तत्व या उर्जा का विस्फोट तो होगा ही 

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