विचार स्वयं अपना लक्ष्य खोज ही लेते हैं , गंतब्य उन्हें मिल ही जाता है . ऐसा लगता है कि कोई उन विचारों की प्रतीक्षा करता रहता है .शायद विचार कहीं दूर से प्रेरित हो कर उत्पन्न ही होते हैं .शायद किसी को उस वक्त उसी विचार-उर्जा की आवश्यकता होती है. शायद दैवीय कृपा से उत्पन्न विचार आपके लिए ही होते हैं.
विचार यों तो अनंत है ,सदा नित-नवीन ही रहते हैं फिर भी आपकी शेप-साईज -कद -काठी - मन-अवस्था -देश -दिशा -दशा के अनुरूप जब मिल जाते हैं ,वह भी तब जब आप एक दिशा-निर्देश -संकेत -आधार-सहारा -उत्प्रेरण खोज रहे होते हैं तब उन विचारों से ऐसी शीतलता मिलती है मानों किसी ने घावों पर मरहम लगा प्रेम से थोड़ी सेवा कर दी , थपकी लगा झपकी दिला दी , बस चैन ला दिया - प्यासे को पानी पिला दिया - तपती धुप में कहीं छाया मिल गयी -- मुरझाते जीवन में आशा जग गई ..
बस इसी तासीर के कारण विचारों को शक्तिशाली माना जाता है .विचार झंकार उत्पन्न कर देते हैं और फिर शुरू हो जाती हैं नई उर्जा की श्रृंखला .
विचार यों तो अनंत है ,सदा नित-नवीन ही रहते हैं फिर भी आपकी शेप-साईज -कद -काठी - मन-अवस्था -देश -दिशा -दशा के अनुरूप जब मिल जाते हैं ,वह भी तब जब आप एक दिशा-निर्देश -संकेत -आधार-सहारा -उत्प्रेरण खोज रहे होते हैं तब उन विचारों से ऐसी शीतलता मिलती है मानों किसी ने घावों पर मरहम लगा प्रेम से थोड़ी सेवा कर दी , थपकी लगा झपकी दिला दी , बस चैन ला दिया - प्यासे को पानी पिला दिया - तपती धुप में कहीं छाया मिल गयी -- मुरझाते जीवन में आशा जग गई ..
बस इसी तासीर के कारण विचारों को शक्तिशाली माना जाता है .विचार झंकार उत्पन्न कर देते हैं और फिर शुरू हो जाती हैं नई उर्जा की श्रृंखला .
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