Friday, 19 December 2014

आंसुओं ने घर वापसी से इंकार कर दिया है ,
निकल चले हैं कारवां बना कर ,सब कुछ आम है .
शब्द जिरह-बख्तर पहन चुके हैं 
जिस्व भी तलवार लेकर तैयार है .सब कुछ साफ़ है .

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