Saturday, 20 December 2014

राजनीति कहाँ नहीं है ---- किस नीति के पीछे राज नहीं है ------ सब कुछ घेरे में बंधा है --- घेरे दर घेरे हैं ----------- 
बचना नुश्किल ही दीखता है ------- इसी में लोग बचते- बचाते,लड़ते-झगड़ते आगे भी बढ़ते रहते ही हैं -------- जीवन का आगे का क्रम इतना भी सहज नहीं है ----- संघर्ष ही राजनीति का विकल्प-काट है 

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