Saturday, 27 December 2014

मैं तो मांझी ,नाव लिए खड़ा मझधार में ,
ताकता हूँ,कोई तो पुकारे ;ऑ रे मांझी !
वे उतर जायेंगे पार
मुझे मिलेगी मजदूरी .
पुकारो तो सही
मैं घूमा लूँगा नाव फिर एक बार
आऊंगा फिर तुम्हारे घाट
गर तुम्हें उस पार जाना है
बताओ , क्या उस पार जाना है ?
जाना है तो बस एक इशारा कर !

No comments:

Post a Comment