नहीं भी होऊंगा तब भी मरने के बाद मुझे नंगा होना ही है .सोचता हूँ पैदा हुआ था तब नंगा ही था , मरने के बाद भी नंगा होना ही है तो क्यों न जीते जी नंगा हो जाऊ , परिश्र कर मैं नंगा हो जाऊँजन्म के बाद जो आवरण मुझे पहनाये गए - क्या मैं उन्हें छोड़ सकता हूँ .
पैदा होने के पहले भी मैं था खाली , पैदा हुआ खाली ,मरने के बाद भी मैं रहूँगा खाली .क्यों न इसी जीवन काल में हो जाऊँ खाली .
क्या रखा है ,क्या करूँगा याद कर कर ,- याद रखने लायक है ही क्या .क्यों याद करूँ .
जो कुछ भी यादों के घेरे में वह सब कुछ असत्य है .
जब सब कुछ असत्य है फिर भुलाना या भूलना क्या ,.
जो असत्य है उसे भुलाने का प्रयास क्यों करूं .वह तो स्वयं नष्ट हो ही जायेगा .
इसलिये मैं याद रखने या भूलजाने के पचड़े में नहीं पड़ना चाहता .
मैं खोने और पाने के विवाद में नहीं पड़ना चाहता .जो कुछ भी पाउँगा वह असत्य होगा , जो कुछ भी खोऊंगा वह भी असत्य होगा .
न मैने कभी सर्वकालिक सत्य पाया है , न खोया है .
खोने से दुःख होता है या सुख , पता नहीं. कुछ पाने से भी सुख ही होता है - ऐसा लगता नहीं .
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पैदा होने के पहले भी मैं था खाली , पैदा हुआ खाली ,मरने के बाद भी मैं रहूँगा खाली .क्यों न इसी जीवन काल में हो जाऊँ खाली .
क्या रखा है ,क्या करूँगा याद कर कर ,- याद रखने लायक है ही क्या .क्यों याद करूँ .
जो कुछ भी यादों के घेरे में वह सब कुछ असत्य है .
जब सब कुछ असत्य है फिर भुलाना या भूलना क्या ,.
जो असत्य है उसे भुलाने का प्रयास क्यों करूं .वह तो स्वयं नष्ट हो ही जायेगा .
इसलिये मैं याद रखने या भूलजाने के पचड़े में नहीं पड़ना चाहता .
मैं खोने और पाने के विवाद में नहीं पड़ना चाहता .जो कुछ भी पाउँगा वह असत्य होगा , जो कुछ भी खोऊंगा वह भी असत्य होगा .
न मैने कभी सर्वकालिक सत्य पाया है , न खोया है .
खोने से दुःख होता है या सुख , पता नहीं. कुछ पाने से भी सुख ही होता है - ऐसा लगता नहीं .
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