क्यों तुम उदास हो, आसमान की विशाल वितान देख
अपने पंखों को तौलना छोड़ ,बस तू उड़,फिर तू देख .
शरमा रहे आसमान को अब तू इस तरह सिकुड़ता देख
दिये की ओट में शर्माते छिपते अँधेरे को समझ ,तू देख .
अपने पंखों को तौलना छोड़ ,बस तू उड़,फिर तू देख .
शरमा रहे आसमान को अब तू इस तरह सिकुड़ता देख
दिये की ओट में शर्माते छिपते अँधेरे को समझ ,तू देख .
No comments:
Post a Comment