तब की लड़ाई जब भूखे पेट लड़ी जा चुकी है ,जीती जा चुकी है बिना किसी एक खरोंच के ,तो अब दो घी चुपड़ी रोटियों के लिये दुम क्या हिलाना .
आज तक न तो झुका हूँ,न टूटा हूँ ,न मरा हूँ- अब क्या डरना शहीदी मौत से .
जीना तो बस इसी जज्बे से - नहीं तो जिन्दगी को जीने के लिए छोड़ देना -- जिन्दगी धोने के लिए बोझ नहीं - एक निमन्त्रण है - स्वीकार करो -सत्कार करो -गाओ -सजाओ - बजाओ - लड़ कर जितने के लिए लडाई का निमन्त्रण है
आज तक न तो झुका हूँ,न टूटा हूँ ,न मरा हूँ- अब क्या डरना शहीदी मौत से .
जीना तो बस इसी जज्बे से - नहीं तो जिन्दगी को जीने के लिए छोड़ देना -- जिन्दगी धोने के लिए बोझ नहीं - एक निमन्त्रण है - स्वीकार करो -सत्कार करो -गाओ -सजाओ - बजाओ - लड़ कर जितने के लिए लडाई का निमन्त्रण है
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