Wednesday, 24 December 2014

मेरे अपने आंगन का वह हैण्ड-पम्प जो हमारी तीन पीढीयों की प्यास बुझाते आया है मेरे लिये किसी भी नदी-सागर से अधिक प्रिय,आदरयोग्य , श्रद्धेय ,पूज्य है . मेरा तो प्रतिदिन के जीवन के सारे आयाम का आधार यही है .-- मेरे यहाँ के अतिथि ,जीनी- मरनी ,पूजा-पाठ ,ब्रत -त्योंहार ,आस -प्यास ,नहाना-धोना ,खाना-पीना - सब का यही आधार रहा है .
मैं आपकी महान पवित्र नदियों को ,प्रतापी ताल-तलैयों को ,महानदी ,सागर , महासागर को क्या जान कर करूंगा ?
आपका आप रखें , मुझे मेरे के साथ इत्मिनान से जीने तो दीजिये

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