Monday, 22 December 2014

तब की लड़ाई जब भूखे पेट लड़ी जा चुकी है ,जीती जा चुकी है बिना किसी एक खरोंच के ,तो अब दो घी चुपड़ी रोटियों के लिये दुम क्या हिलाना .
आज तक  न तो झुका हूँ,न टूटा हूँ ,न मरा  हूँ- अब क्या डरना शहीदी मौत से . 

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