परिवार में कुछ कलम के वीर तो होने ही चाहिये जो अपनों की यश गाथा गा सके ,कुछ जबान के-बोली -वचन के वीर भी होने ही चाहिये जो जोर जोर से चिल्लाकर अपनों की यश गाथा बांच सके , आलोचनाओं का तीता मिर्च भरा जबाब दे सके - आरोपों का सामना करने में आपकी मदद कर सके ,जरूरत पड़ने पर बहस कर सके ,तहरीर दिखा सके ,गवाही दे -दिला सके ,बोल कर या कह कर लिखवा सके .
कुछ भुज-बल वीर भी चाहिये जो जरुरत पड़ने पर गुर्रा सके ,किसी को धो सके ,कम से कम अपनी जान बचाने के लिए इस-उस पार की लड़ाई एक बार नहीं , बार बार लड़ सके , कंधों पर अपनों को चढ़ा सके ,अपनों को ढो सके ,गोदी उठा सके ,दूसरों को डरा सके ,डरा कर विरुदावली लिखवा सके ,धमका कर यश गान गवा सके .
विरुदावली गाना , गवाना , लिखवाना ,लिखना बड़ा मसला है .जो इस स्तुति गान की विधा में प्रवीन हैं उनकी बात ही ओर है .
धनवीर ,प्रज्ञावीर ,विद्या-वीर , युद्ध-वीर सभी एक चारण - विरुदावली- गायक -लेखक खोजते चलते हैं .
अमरत्व की तलाश सभी को रहती है .
प्रचार प्रसार भी अमरत्व प्राप्ति के लिये आवश्यक है .
जानिये - जनाईये .
एक लोंबी खड़ी करनी पडती है -पूजा करने वालों की ,नारे लगाने वालों की ,जयकारा लगाने वालों की , महिमा-मण्डन करने -करवाने वालों की .
यह सब नहीं किया तो बस पीढ़ियों दर पीढ़ियों सेवा शुश्रूषा करते रहिये ,सेवक बने रहिये ,
सेवकों की अगली पीढ़ी जनते रहिये ,
नई पीढ़ी को सेवक बनाते रहिये ,
सेवा के नये नये तरीके अपनाते रहिये , खोजते रहिये -- और खोजिये जो आपकी सेवा प्राप्त कर महान-अमर होंगें .
कुछ भुज-बल वीर भी चाहिये जो जरुरत पड़ने पर गुर्रा सके ,किसी को धो सके ,कम से कम अपनी जान बचाने के लिए इस-उस पार की लड़ाई एक बार नहीं , बार बार लड़ सके , कंधों पर अपनों को चढ़ा सके ,अपनों को ढो सके ,गोदी उठा सके ,दूसरों को डरा सके ,डरा कर विरुदावली लिखवा सके ,धमका कर यश गान गवा सके .
विरुदावली गाना , गवाना , लिखवाना ,लिखना बड़ा मसला है .जो इस स्तुति गान की विधा में प्रवीन हैं उनकी बात ही ओर है .
धनवीर ,प्रज्ञावीर ,विद्या-वीर , युद्ध-वीर सभी एक चारण - विरुदावली- गायक -लेखक खोजते चलते हैं .
अमरत्व की तलाश सभी को रहती है .
प्रचार प्रसार भी अमरत्व प्राप्ति के लिये आवश्यक है .
जानिये - जनाईये .
एक लोंबी खड़ी करनी पडती है -पूजा करने वालों की ,नारे लगाने वालों की ,जयकारा लगाने वालों की , महिमा-मण्डन करने -करवाने वालों की .
यह सब नहीं किया तो बस पीढ़ियों दर पीढ़ियों सेवा शुश्रूषा करते रहिये ,सेवक बने रहिये ,
सेवकों की अगली पीढ़ी जनते रहिये ,
नई पीढ़ी को सेवक बनाते रहिये ,
सेवा के नये नये तरीके अपनाते रहिये , खोजते रहिये -- और खोजिये जो आपकी सेवा प्राप्त कर महान-अमर होंगें .
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