Wednesday, 5 July 2017

यूँ समझिये १
दिल्ली जाने वाली कोइ ट्रेन दिल्ली नहीं है। उस ट्रेन का कोई डब्बा भी दिल्ली नहीं है। उस ट्रेन की कोई बर्थ या सीट भी दिल्ली नहीं है। दिल्ली जाने का टिकट भी दिल्ली नहीं है। और दिल्ली जाने का टिकट जिस खिड़की से आपने लिया वह  भी दिल्ली नहीं है। जिस स्टेशन के जिस प्लेटफार्म पर आप ट्रेन पकड़ेंगे वह  भी दिल्ली नहीं है।
दिल्ली तो आप तब पहुंचेंगे जब आप दिल्ली जाने वाली ट्रेन से उत्तर चुके होंगे और आपके हाथ से दिल्ली का टिकट भी ले लिया गया होगा तथा दिल्ली के साइनबोर्ड वाले प्लेटफार्म से आप बाहर आ चुके होंगे।
अब दिल्ली आपका गंतब्य है तो आपको दिल्ली की टिकट भी लेनी ही होगी ,किसी स्टेशन पर जाकर दिल्ली वाली ट्रेन भी पकड़नी ही होगी , दिल्ली पहुंचने तक उस रेल के उस डिब्बे में नियम पूर्वक यात्रा भी करनी ही होगी।
और अंततः इतने प्रयत्न से ,त्याग से लिया टिकट , वह  ट्रेन , वह  डब्बा , उसके सहयात्री ,सब को त्याग कर दिल्ली साइनबोर्ड वाले प्लेटफार्म को छोड़ते हुए दिल्ली पहुंचना होगा।
 जिस ट्रेन के लिए इतनी मारामारी की वह गंतब्य पर छूट जाएगी। 

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