Saturday, 6 June 2015

एक भी दीया जो मैं इस बियावान फैले घनघोर अँधेरे के बीच जल पाया तो ,
निराश होते जा रहा ,कोई एक भी भटकी राह से वापस लौट जो आया तो
मेरे और दीये  होने का एहसास , उस अँधेरी सनसनाती एकाकी रात में 
किसी एक को भी हिम्मत जो बंधा पाया तो ,  मैँ सारी रात जगता रहूंगा। 

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