Sunday, 14 June 2015

 पापा, आपने इत्ते सारे सपने क्यों दिखाये थे , मुझे इत्ता सारा आसमान क्यूंँ दिखाया , यदि दिखाया तो पंखों में इत्ति ताकत क्यों नहीं दी कि मैं सूरज तक उड सकूं, गिद्ध-बाज से उपर उड सकू़ँ- मुझे बार्बी -डाल से कल्पना चावला-किरण बेदी बनने का सपना क्यूँ दिया।
आज आपको मेरे से अधिक परेशानी है।
नहीं मेरे बच्चे , तेरे से ज्यादा नहीं। जो है वह भी दूर हो ही जायेगी।
बस , तू उडती चल , मैं नीचे हुँ न।  न तू किसी बात का भय कर। 

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