Friday, 26 June 2015

कुछ भी बदलता नहीं , सब कुछ वही रहता है- बस नजरिया या निगाह या नजर बदल जाती है.
नया उत्सुकता से नयी दृष्टि से बिना बन्धे , बिना बोझ लिये उन्मुक्त भाव से देखता है.
पुराना सोच कर , विचार कर; बन्धा-बन्धा, डरा-डरा परखते हुए ,जाँचते हुए देखता है.
विद्वान या समर्थ नजर, नजरिया, निगाह बदल देते हैं, या बदलने का सलीका .तमीज सिखला,देते हैं- तहजीब-का इल्म देते हैं, एहतराम का शउर सीखाते हैं.
नया कच्चा होता है, निगाह भी कच्ची होती है.
दो ही रास्ते हैं- अटक-भटक , गिर-पड़ कर सीखो या दिखाया-सिखाया-कराया- समझाया समझो और सीखो.
नया कई बार एक नयी दिशा कि ओर चल पड़ता है- एकदम नयी---->--->---->

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