Monday, 1 June 2015

यह समय है अपने आप को समेट लेने का , समेटना शुरू करने का , शिकायतें वापस ले लेने का , कुछ सुलह  करने का , कुछ दे डालने का , कुछ न भी वापस मिले तब भी देते हुए जाने का।  न भी देने का मन करे तो भी जो कुछ भी था , है , आगे होगा ,उससे उदासीन होने का , ममत्व भाव छोड़ डालने का।
शिकायतें पीछे छोड़ कर जाने का कोई प्रयोजन भी नहीं है।
आने वाली पीढ़ियां पुरानी शिकायतें ढोती रहे , पुराने विवादों में ही उलझती रहे यह कोई आदर्श स्थिति तो नहीं ही होगी।
पर आगे और करना नहीं छोड़ना है।  दौड़ना नहीं छोड़ना है। रचना , निर्माण की गति  नहीं रुकनी चाहिये। सपने बुनना ,सतरंगे सपने , यह सब नहीं रुकने चाहिए।
आगे अभी अनंत जीवन -क्रम है , बाकी है, रहेगा , नया तो सदैव आगे आता ही रहेगा।
 बस पुराने को बिना शिकवा शिकायत के संतोष के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए।
अभी अनंत प्रभात का अनंत क्रम चलता  ही रहेगा। सभी के प्रति नित नवीन आशा -विश्वास के साथ सदिच्छा  करते रहें। स्वयं को विश्राम स्थिति में शांति से आ जाने दीजिये।


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