Sunday, 14 June 2015

वे अधिकार के सामने झुकते हैं , विनम्र दिखने की कोशिश कर रहे हैं , स्वार्थ लोलुप है , स्वार्थ वश विरुदावली गा बजा सुना रहे हैं ,अंदर में ईर्ष्या ,प्रतियोगिता, उपेक्षा  , घृणा , विद्वेष , हिंसा , वैमनस्य यहाँ तक की दुश्मनी का भाव रखे हुए  मित्रता - श्रद्धा- प्रेम -प्रिय -कारिता  - का ड्रामा कर रहें है - भय वश , कुछ -कुछ भ्र्म भी है।
ऐसे लोगों का भयंकर  गुट  है - विशेष  गुप्त गुह्य  ज्ञान-बिद्या  का चौघटा है।

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